कविता : पुष्प जब तुम मुस्कुराते..
"अनावरण आनंद: जब फूल मुस्कुराते हैं"
कविता
रचना श्रीवास्तव
5/20/20231 min read
मन गगन सौरभ लुटाते
ह्रदयों में उत्साह जगाते
प्रकृति वसन पर रंग सजाते
हे पुष्प जब तुम मुस्कुराते
रूठे हृदय मधुमास हो जाते
जीवन बगिया को महकाते
कोमलता सुगंध सर्वस्व वारते
हे पुष्प जब तुम मुस्कुराते
काँटों संग तुम ख़ूब निभाते
घोर नैराश्य में आस बँधाते
नव प्रभात की राह दिखाते
हे पुष्प जब तुम मुस्कुराते
नीरव नभ गुंजित कर जाते
आल्हादित हो धरा सजाते
सरल सहज सुंदर बतलाते
हे पुष्प जब तुम मुस्कुराते
न शिव के सिर चढ़ इतराते
न शव पर चढ़ के मुरझाते
जीवन क्षण भंगुर समझाते
हे पुष्प जब तुम मुस्कुराते...!