कविता : कृष्ण कन्हैया
कृष्ण कन्हैया: नन्द के श्याम बालक
रचना श्रीवास्तव
5/20/20231 min read
ओ मेरे कृष्ण कन्हैया
ओ मेरे बाल गोपाला...!
बंसी गूँजे मन उपवन में
बहती है राग रसधारा
बाल गोपाल के दर्शन में
झूम उठता है जग सारा !
नंद बाबा संग लाड़ लड़ाते
सांवल रूप कन्हाई तुम्हारा
देख देख निहाल हुई मैया
आंखों से बही अश्रु धारा !
माखन चुराते ग्वालों संग
मुकुट पर मोर पंख है धारा
पशु पक्षी चर अचर जंगम
सब का तू बन गया दुलारा !
धन्य है देवकी माता जिसने
तुम्हें धरा पर था उतारा
धन्य है यशोदा माता जिसने
पाला पोसा और सँवारा !
कण-कण में तुम बसे हो
हर दिल अपनी धड़कन वारा
अजब लीला है रास रचैया
तुम हो सबकी आंखों का तारा !
ओ मेरे कृष्ण कन्हैया
ओ मेरे बाल गोपाला...!